फांसी के तख्ते से
कुफ़्र कर रहे हम
इसलिए कि
जी सके यह देश
सूली चढ़ रहे हम
इसलिए कि
जी सके यह देश…
(१)
जीने की चाहत
होने पर भी
सपनों की आहट
होने पर भी
बेमौत मर रहे
हम इसलिए कि
जी सके
यह देश…
(२)
ज़िंदगी की
महरूमी को
आशिकी की
मजबूरी को
हंसके सह रहे
हम इसलिए कि
जी सके
यह देश…
(३)
बेखुदी की
महफिलों में
लम्हा-लम्हा
मुश्किलों में
ऐसे बढ़ रहे
हम इसलिए कि
जी सके
यह देश…
(४)
जालिमों से
जाहिलों से
मानवता के
कातिलों से
खुलके लड़ रहे
हम इसलिए कि
जी सके
यह देश…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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