फ़ितरत
कब तेरी संदल सी खुशबू,
दिल -ओ-दिमाग पर तारी हो गई -पता ना चला,
कब तेरा इंतज़ार सुबह और मेरी शाम की आदत बन गई -पता ना चला,
कब तुझसे ये शदीद मोहब्बत मेरे दिल की धड़कन बन गई -और,
कब कैसे दोनों जहान की हदें टूट गईं -पता ना चला,
ये और बात है -तेरा महफ़िल में मुझसे यूं चुरा के नजरें,
मुझसे नावाकिफ़ बन जाना,
तेरी फ़ितरत में शामिल है,
मेरी आदत, मेरी हसरत, मेरी वफ़ाएं, मेरी मोहब्बत,
हर शै का ये ही हासिल है,
मेरा दिल मेरा क़ातिल है।