फ़ितरत
फ़ितरत इंसान की कभी छूटती नहीं है
चाहे किसी भी नाकाम पर पहुँचे बदलती नहीं है
नर्म दिल ,शेर दिल ,मासूम दिल ,तथा डरपोक दिल
सभी की फ़ितरत अलग अलग होती है
कई लोगों की फ़ितरत बड़े दिल की होती है
जेब मैं अठन्नी ही तो रुपया खर्च करने की होती है
कई लोगों की फ़ितरत होती है बातों मैं जीतने की
और कई चुप रहने की फ़ितरत उन्हें जीत दिला देती है
कुछ को धोंस देने की आदत होती है
कुछ नरमी को ही अपनी फ़ितरत बना लतें है
कुछ कंजूस लोगों की कंजूसी करना फ़ितरत है
चमड़ी जाये पर दमड़ी ना जाये इसकी आदत है
तो कोई बिन कुछ कहे भी अपनी फ़ितरत बता देतें है
आँखों आखों मैं ही अपनी बात कह जातें हैं
हमारे नेता लोग भी इससे अछूते नहीं है
जीतने के लिए हर हथकंडे अपनाने की उनकी फ़ितरत है
कहे मणि:-कुछ लोग अपनी फ़ितरत से इतने मज़बूर होते हैं
कि कैसा ही नुक़सान हो अपनी अच्छाई नहीं छोड़ते हैं
इसलिए फ़ितरत यारो ऐसी रखो जो सभी को साथ जोड़े
और अपना भला करने के साथ साथ दूसरे के लिए भी सोचे
इन्द्रामणि सभारवाल