फ़क़्त मेरे घर का पता पूछती है
तू दुनिया की मान्निद बडी मतलबी है
शानासा है लेकिन बहुत अजनबी है
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हुदूदे तख़्ययुल से बाहर है अब तक
जो मंसूब तुझसे मेरी शायरी है
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बला कोई आये ज़माने में लेकिन
फ़क़्त मेरे घर का पता पूछती है
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निज़ामे मुहब्बत बने या कि बिगड़े
वफ़ा मेरे सीने से लिपटी हुई है
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तबाही मचेगी अभी देख लेना
हवा के लबों पर बहुत खामुशी है
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फ़रिश्ता है लेकिन कहा किससे जाये
है मशहूर सालिब बुरा आदमी है