Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2024 · 1 min read

*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*

फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)
_________________________
फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा
1)
देश-विरोधी सोच नहीं अब, अपना देश सहेगा
देश-विघातक सुर वालों को, अब गद्दार कहेगा
देशभक्ति के शुभ भावों से, भर दो भारत सारा
2)
मूल्य समझना होगा कैसे, हम आजादी लाए
कालापानी झेला था जब, अनगिन शीश चढ़ाए
याद करो फिर भगत सिंह का, इंकलाब का नारा
3)
खादी पहनी जब गॉंधी ने, राष्ट्र-चेतना आई
नेता जी ने फौज हिंद की, अद्भुत वीर बनाई
विलय रियासत का कमाल था, सोचो किसके द्वारा
फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

111 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
ऐसी थी बेख़्याली
ऐसी थी बेख़्याली
Dr fauzia Naseem shad
दोस्तों, जब जीवन में कुछ अच्छा होने वाला होता है तो अक्सर ऐस
दोस्तों, जब जीवन में कुछ अच्छा होने वाला होता है तो अक्सर ऐस
Piyush Goel
शायरी 1
शायरी 1
SURYA PRAKASH SHARMA
My answer
My answer
Priya princess panwar
मिथ्या सत्य (कविता)
मिथ्या सत्य (कविता)
Indu Singh
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
मेरा शहर
मेरा शहर
विजय कुमार अग्रवाल
“गर्व करू, घमंड नहि”
“गर्व करू, घमंड नहि”
DrLakshman Jha Parimal
प्यार कर रहा हूँ  . . . .
प्यार कर रहा हूँ . . . .
sushil sarna
आवाहन
आवाहन
Shyam Sundar Subramanian
त्राहि नाद
त्राहि नाद
कुमार अविनाश 'केसर'
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
"परछाई"
Dr. Kishan tandon kranti
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
*जनहित में विद्यालय जिनकी, रचना उन्हें प्रणाम है (गीत)*
Ravi Prakash
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2563.पूर्णिका
2563.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो..
कवि दीपक बवेजा
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
परवरिश
परवरिश
dr rajmati Surana
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
कवि रमेशराज
बिजलियों का दौर
बिजलियों का दौर
अरशद रसूल बदायूंनी
ख्वाब यहाँ पलतें है...
ख्वाब यहाँ पलतें है...
Manisha Wandhare
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
समय का सिक्का - हेड और टेल की कहानी है
Atul "Krishn"
LOST AND FOUND
LOST AND FOUND
Chitra Bisht
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
मुझे नहीं नभ छूने का अभिलाष।
Anil Mishra Prahari
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
Bidyadhar Mantry
■दम हो तो...■
■दम हो तो...■
*प्रणय*
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Loading...