फल खाएँगे (बाल कविता)
फल खाएँगे (बाल कविता)
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पापा बोले प्यारी बिटिया !
मुर्गा तुम्हें खिलाऊँ ?
होटल चलकर खाना है
या घर पर लेकर आऊँ ?”
समझदार थी बिटिया
बोली”नहीं मारकर खाते,
सिर्फ स्वाद के लिए उचित क्या
उन पर छुरी चलाते ?
जाएँगे बाजार ढेर फल
हम लेकर आएँगे
चाट बनाकर सभी फलों की
सब मिलकर खाएँगे।”
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रचयिताः रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451