फलशफा -ए-इश्क
1 हमने ज़िन्दगी से वफ़ा की ,
कबख़्त ज़िन्दगी बेवफा निकली l
हमे बीच मजधार छोड़ ,
वो किसी और की हो चली l l
2 राह में खड़े थे हम फरियादी बनकर ,लेने को उनकी रज़ा ,
अठन्नी थम लोग चल दिए , बैरागी समझ कर l
3 आगाज़ -ए- मुहब्बत हमने कर दिया ,
अश्कों से रो – रो दमन भर दिया ,
अल्लाह की इबादत से बढ़कर ,
महबूब को अपना खुदा बना लिया l
मीनू यादव