फर्ज
मुर्गा जो बांग दे कर, सुबह सबको जगाता है,
शाम को प्लेट में सजकर, सदा को सो जाता है,
उसके उत्सर्ग का यह हश्र होगा, वह क्यों सोचे ?
जगाने का फर्ज है उसका, वह तो निभाता है l
मुर्गा जो बांग दे कर, सुबह सबको जगाता है,
शाम को प्लेट में सजकर, सदा को सो जाता है,
उसके उत्सर्ग का यह हश्र होगा, वह क्यों सोचे ?
जगाने का फर्ज है उसका, वह तो निभाता है l