फर्क
रात के अँधेरे में
दिन के उजाले में
बस यही फर्क है
कि
रात के अँधेरे में
पुलिस वालों की चाँदी है
चोर-डाकुओं को मिली आज़ादी है
क्योंकि ऐसे में
चोर-डाकू लोगों का घर लूट लेते हैं
और
पुलिस वाले उसमें से अपना कमीशन ले लेते हैं
जबकि
दिन के उजाले में
वही चोर-डाकू
खद्दरधारी बनकर भाषण सुनाते हैं
लोकतंत्र की खूबियाँ गिनाते हैं
और
यही पुलिस वाले
उनकी सुरक्षा व्यवस्था बनाते हैं
बस यही फर्क है
रात के अँधेरे में
दिन के उजाले में
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’