फर्क नहीं पड़ता…!!
कुछ अरसे हुए ना किसी के आने से फर्क पड़ता है और ना किसी के जाने से फर्क पड़ता है। लोग कहते है तुम ऐसे हो,, तुम किसी की सुनते नहीं हो,,, तुम अपने आप में पता नहीं खुद को क्या समझते हो,,, तुम हमेशा अपने मन की चलाते हो,,, और भी ना जाने क्या -क्या… तो मुझे समझ नहीं आता है कि वो सभी मुझ पर लांछन क्यों थोप देते है। क्या मैंने कभी किसी से जबरदस्ती मेरी अच्छाई या बुराई करने की बात कहीं है,, या कभी किसी को ये कहाँ है कि तुम्हे ये नहीं ये करना चाहिए, ऐसा नहीं वैसा बनना चाहिए,, मुझे कोई हक़ नहीं की किसी की जिंदगी को अपनी धारणा के मुताबिक बदल के रख दूँ। फिर मुझे क्यों कोई बदलना चाहता है, मैं क्यों किसी के हांथो की कठपुतली बनूँ, क्यों किसी के बताये रास्ते पर चलूँ। मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे निर्णयों को कैसे criticize करते है।
मुझे अपनी जिंदगी में खुद के फैसलों पर यकीन होता रहा है तब कोशिशों के बीच में कोई आकर हमें गुमराह करने की कोशिश करता हो और कहता हो,, कि ये तुम क्या कर रहे हो या ये तुम्हारे बस का नहीं है। इस वक़्त जाने लोगो में दूसरों को judge करने की आदत पता नहीं कहाँ से पनप जाती है।
कुछ बुरे वक़्त सबकी जिंदगी में आते है तब हमें असमंजस-सी महसूस होती है समझ नहीं आता है ऐसे हालातों में खुद को कैसे संभाले,, तब हमें लगता है कि काश कोई आये और मुझे समझाये कि क्या करें… तब ये बात अपने मन से निकाल ले कि आपकी मदद करने कोई आएगा,, आपको खुद को मजबूत बनाना होगा और खुद को जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। ज़ब हालात ठीक नहीं होते है,, जब कुछ भी अपनी सोच के हिसाब से नहीं होता है तब इंसान अंदर से बिखरने लगता है, टूटने लगता है। जब हमें लगता है कि अब हमारे पास छोड़ देने के अलावा कोई तरीका नहीं सूझ रहा होता है तब हमें खुद को मजबूत,, और मजबूत बनाना होता है। यहीं वो वक़्त होगा ज़ब आपको अपना कहने वाले लोग या जिन्हे तुम अपना मानते हो वो लोग तुमसे मिलेंगे और अपनी -अपनी राय देंगे या हो सकता है वो तुम्हे ही इस परिस्थिति का दोषी ठहरायेंगे कि तुम्हे ज़ब पहले समझाया था तब तो जनाब हवा में थे,,, लो आ गए जमीन पर… यहीं तुम्हारी औकात है… तुम इसी के लायक हो.. वगैरह.. वगैरह…!! कुछ तो जो तुमसे नज़रे तक नहीं मिला पाते थे कभी.. और जो डरते थे तुम्हे देखकर भी.. वो भी तुम्हे आकर दो -चार ज्ञान भरी दास्ताँ सुनाकर चले जायेंगे..! ये वही लोग होते है जिनकी खुद की जिंदगी के रास्ते लगे होते है।
अगर परिस्थिती ऐसी बन रही है कि तुम्हे कुछ समझ ही नहीं आ रहा है तब हमें खुद पर काम करने की जरुरत है, मन को शांत माहौल दे, विचार और चिंतन कर खुद को जानने की कोशिश करें। खुद को समझकर अपनी क्षमताओ को observe करें और अपने काम करने के तरीके को इजात करें।
हम अपनी हर गलती का दोष दूसरों पर डालते आये है हम ये नहीं समझ पाते है कि गलती हमारी है तो उससे बाहर कैसे निकलना है ये भी हमसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है। पहले हालातो को observe करो, उसकी बारीकीयों को समझो और छोटी – छोटी प्रोब्लेम्स solve करो तब तुम पाओगे कि तुम्हे आगे बढ़ने के रास्ते मिलने लगेंगे। हर शुरुआत हमेशा छोटे स्तर से ही होती है। जो जानते है कि,, वे कुछ नहीं जानते, ऐसे लोग नये रास्ते भी इजात कर लेते है। ज़ब से मैंने खुद को जाना है तब से मुझे अवसरों की कमी नहीं हुई परन्तु हमें किन अवसरों को accept कर आगे बढ़ना है ये हमारे निर्णय तय करते है। इस बीच आपको बहुत से लोग समझाने आएंगे,, ऐसा नहीं वैसा,, वैसा नहीं ऐसा,, फिर हम तो समझते ही है कि… “सुनो सबकी, करो मन की।”
अपने हर एक वक़्त का सही से utilise करना बहुत ज़रूरी है, यही हमें बेहतर से बेहतरीन की ओर लेकर जाता है!!
दुनिया का क्या.. वो तो तब भी कहेगी ज़ब आप सफल हो जाओगे। तो अब फर्क नहीं पड़ता…सही है ना…!!
❤️Love Ravi❤️