फर्क अब इस तरह समझना
शायरी दिल को छू जाती है
कविता दिल मे बस जाती है
फर्क अब इस तरह समझना
जो आने वाला था,दरवाजा खटखटा के चला जाता है
जिसकी उम्मीद नही थी,वो घर मे बस जाता है
पसंद हमेशा शायरी आती है
असर जिंदगी मे कविता कर जाती है
फर्क अब इस तरह समझना
हर मोड़ पर कोई न कोई चेहरा पसंद आता है
असर वही करता है जो कसर छोड जाता है
शायरी लबो से लबो तक जाती है
कविता तो आत्मा से मिल जाती है
फर्क अब इस तरह समझना
जिस्म का खेल एक से दो तो कभी हर बार होता है
जो खिलखीलाहट मे खामोशी समझ ले वही यार होता है
कई ‘शे’र गजल तो कई गजले कविता बन जाती है
फर्क अब इस तरह समझना
वादा हर कोई करता है,जिसने ना किया वही निभा जाता है
हर मोड़ पर कोई न कोई चेहरा पसंद आता है
असर वही करता है जिस पर नजर पड जाती है
फर्क अब इस तरह समझना
शायरी दिल को छू जाती है
कविता दिल मे बस जाती है…..
शक्ति