फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल में
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल में
मगर याद रखना
हम जैसा भी नहीं मिलेगा कोई और तुम्हें
हमारे बाद……….
जाओ आजमा के देख लो सारे जहाँ को
अहले -दिल .
हमसा भी ना पाओगे ये दावा है हमारा हमारे बाद
क्या हिसाब दोगे सरे महशर अपने गुनाहों का….
एक एक नेकी के लिए तरस जाओगे तुम देखना हमारे बाद
गुस्सा पी गए कभी चीख उठे.. कभी खामोश रहे
हो जायेगे सब के चेहरे बेनक़ाब देखना
हमारे बाद
दोस्तो हम तो जीते रहे अपने ही दम ख़म पर……
कोई जी कर तो दिखाये ज़रा ऐसे
हमारे बाद
तुम बिछाते हो मेरी राहों में कांटे ये तुम्हारा है चलन
फूल महकेगे मेरी तुरबत पे मेरी तरह मेरे बाद…….ShabinaZ