फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
लोगों के चेहरो से जब, अपनेपन का नकाब उतर गया।
सुना था अकेले आये हैं, दुनिया से अकेले ही जाना है।
जब अकेले हुए जीवन में, सात जन्मों का खुमार उतर गया।
कोई साथी नहीं जीवन का, पथिक बस हम अकेले है।
राह में जो अगर मिलें किसी से, मिथ्या ही मुस्कुराना है।
हम तो समझ बैठे थे कि, मंजिल तक साथ देंगे वो।
उनकी आरज़ू थी कि, उन्हे नई मंजिल बनाना है।
श्याम सांवरा…