फरियाद
जनता आज कर रही है फरियाद।
सुन लो मेरे ओ सरकार।
अब तो महंगाई को कर दो,
देश से तड़ीपार।
अब बहुत सह लिया हम सब ने,
अब सहा नही यह जाता है।
मंहगाई का यह अत्याचार
अब हमें बहुत रुलाता हैं।
क्या खाए, क्या बच्चों को खिलाएँ
यह सोचकर मन घबराता हैं ।
कितने की थाली से रोटी चली गई है।
कितने सुखी रोटी खाकर
कर रहे है अपना गुजार।
रोजगार पहले ही नहीं थी।
भ्रष्टाचार खत्म भी नही हुई थी।
अब पर गई सब पर भारी
महंगाई की यह मार।
कैसे खर्च चलाए घर का
पूँछ रही जनता सरकार!
आमदनी चंवनी खर्च रूपया
हो रहा हर दिन सरकार।
कर्ज सता रही हैं अलग
अब कोई नहीं दे रहा उधार।
महंगाई की इस बोझ तले
अब हम सब हो रहे है बीमार।
अब हम जनता की आस आप हो,
अब न करो निराश सरकार।
आने से पहले आपने बड़ी – बड़ी
बातों से हम सब का
मन को मोहा था।
भरष्टाचार देश से हटाएँगे।
सबको रोजगार दिलाएँगे।
मंहगाई को दूर भगाएँगे।
ऐसा बोल – बोलकर आपने
यह चुनाव जीता था।
अब तो अमल करो अपनी बातों पर
महंगाई करो दूर सरकार।
रोजगार दिलाओ युवाओ को
मिटाओ देश से भ्रष्टाचार।
अब ज्यादा दिन नहीं है फिर
आना है आपको जनता के द्वार।
फिर जनता लेगी आपसे,
इन वर्षों का हिसाब किताब।
फिर जनता प्रश्न करेगी!
क्या किया आपने हम सब
के लिए सरकार!
~अनामिका