– फनाह के साथ मोहोब्बत –
जिस्म फनाह है
फिर भी प्यार करते हैं लोग
कभी जाने के बाद
न आने की आस रखते हैं लोग
ठोकर लगा लगा के
उस वक्त दगा देते हैं लोग
जब तक सांस चलती है
हर रोज ही आजमाते हैं लोग
झूठे नाते, झूठे वादे
हर रोज यहाँ करते हैं लोग
पता है जिंदगी कम है
फिर भी न जाने क्यूँ सताते हैं लोग
अच्छे के संग दगा
बुरे के संग महफिले जमाते हैं लोग
भगवान् को भी जो दगा दे दें
ऐसे ऐसे चेहरोँ में नजर आते हैं लोग
अजीत कुमार तलवार
मेरठ