कुत्ते का श्राद्ध
फतेह बहादुर नाम है मेरा
एस पी का हूँ बाबू ।
सारा आफिस मेरे अंडर,
साहब भी मेरे काबू।
जो मैं कहता वैसे करते,
रॉन्ग हो या राइट।
आय व्यय का लेखा सारा
रखता एकदम टाइट।
मेमसाब के भी ऊपर
थी पकड़ हमारी पूरी।
आज तलक साहब मैडम से
हुई कभी न दूरी।
साहब ने था टॉमी पाला,
था जो जान से प्यारा।
चपरासी से बड़े बाबू तक,
सबकी आँख का तारा।
एक दिन सब पर गाज गिर गयी।
गुलशन पूरा उजड़ गया।
साहब जी का टामी कुत्ता ,
जाने कैसे गुजर गया।
सारे विलखें मार दहाड़े
दुखी हुये सब कोई।
टॉमी जिसमें वैकुंठ जाये,
करो जतन अब सोई।
भैया फत्ते यही समय है,
नम्बर खूब न बना लो।
साहेब के प्यारे कुत्ते का
जल्दी श्राद्ध कर दो।
मैडम साहब खुश हो जाये,
टॉमी की हो मुक्ति।
अपना प्रमोशन हो जाये,
है ये अव्वल युक्ति।
परमपूण्य प्रस्ताव ने मेरे,
साहब जी को रुला दिया।
आव न देखा ताव देखा,
शुक्लाजी को बुला लिया।
यूँ तो शुक्ला सिद्ध पुरुष थे
आते थे सब काम।
लेकिन मुझ पर कुपित हो गए,
सुन के श्राद्ध का नाम
बोले मैं हूँ कुलीन ब्राह्मण,
करता मानुष का श्राद्ध।
कुत्तों का यूँ तर्पण करना,
है बिल्कुल अपराध।
एस पी साहब के भय कारण,
शुक्लाजी घबराय।
किया प्रयोग विप्र की बुद्धि ,
बाँचा अजब उपाय।
कुत्ता है भैरव का वाहन,
उनकी करिये पूजा।
मुक्ति टॉमी को मिल जाये,
यस उपाय न दूजा।
आइटम सारा नोट करो,
और जल्दी से मगवालो।
साहब के प्यारे टॉमी की
विधिवत श्राद्ध कर लो।
दस तोला सोने का कुत्ता,
तेरह लीटर दारू।
तेरह भैसें गोल सींग की ,
जो हो खूब दूधारू।
तेरह कम्बल, छब्बीस जूता,
स्वान वजन भर अन्न।
तेरह बिप्र को दान दक्षिणा
हों भैरव प्रसन्न।
पूजा लिस्ट देख कर साहब,
शुक्ला जी को भगा दिया।
फतह बहादुर सस्पेंट हो गए तुरंत लिस्ट को जला दिया।
पी ए बाबू पास खड़े थे,
साहब को समझाया।
वन में गहरा गड्ढा खोदा,
टॉमी को दफनाया।
चापलूस से बचके रहना,
रहिये इनसे दूर।
ये समाज के कुष्ट रोग है,
रखना याद जरूर।
-सतीश सृजन, लखनऊ।