फणीश्वरनाथ रेणु
फणीश्वर नाथ रेणु जी का पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन
इनकी लेखनी का कुछ अंश
फणीश्वरनाथ रेणु जी ने हिंदी साहित्य को मैला आंचल जैसा विख्यात उपन्यास दिया है जिसके लिए उन्हें पद्श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। फणीश्वर नाथ रेणु यूं तो एक उपन्यासकार के तौर पर बेहत लोकप्रिय हैं लेकिन उन्होंने कई कविताएं भी लिखीं।
जागो मन के सजग पथिक ओ!
मेरे मन के आसमान में पंख पसारे
उड़ते रहते अथक पखेरू प्यारे-प्यारे!
मन की मरु मैदान तान से गूँज उठा
थकी पड़ी सोई-सूनी नदियाँ जागीं
तृण-तरू फिर लह-लह पल्लव दल झूम रहा
गुन-गुन स्वर में गाता आया अलि अनुरागी
यह कौन मीत अगनित अनुनय से
निस दिन किसका नाम उतारे!
हौले, हौले दखिन-पवन-नित
डोले-डोले द्वारे-द्वारे!
बकुल-शिरिष-कचनार आज हैं आकुल
माधुरी-मंजरी मंद-मधुर मुस्काई
क्रिश्नझड़ा की फुनगी पर अब रही सुलग
सेमन वन की ललकी-लहकी प्यासी आगी
जागो मन के सजग पथिक ओ!
अलस-थकन के हारे-मारे
कब से तुम्हें पुकार रहे हैं
गीत तुम्हारे इतने सारे