फगुनी बयार
बसन्त में बाग फूले,
आम्र डाली डाली झूले,
प्रेम मतवाली झूमे,
फगुनी बयार है।
खेत दिखे पीले सब,
हरा भरा दिखे रब,
खग मद मस्त दिखे,
बसन्त बहार है।
रग रग नया जोश,
नहीं खोये आप होश,
डोली रति लेके आते,
कामद कहार है।
रवि प्रीत आस लेके,
देखें निशि मुसकाके,
निशा शरमाये भागे,
होलिका लहार है।
गली गली खुशी छाई,
प्रीत रंग गाल भाई,
छोड़ द्वेष गले मिलें,
खुशियाँ अपार हैं।
धोये शाम चढ़ा रंग,
मल मल धोये अंग,
मन मैल धुल बहे,
फगुआ त्योहार है।
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अशोक शर्मा, कुशीनगर,उ.प्र.