फंदा
बाबा हरते पाप को, सबके सर धर हाथ।
दिखते सूरा सुंदरी, फॅसा गए निज माथ।।
फॅसा गए निज माथ, चला गोरख धंधा।
प्रीत सुंदरी मीत, बनती गले का फंदा।।
काया लिये सहेज, स्वार्थी स्वाद है दाबा।
रख अपने मन मैल, करते करिश्मा बाबा।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २४/१०/२०१८)
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