पढ़ाई
जैसे कटे कपडों को मनचाहा
आकार देती है उनकी सिलाई
वैसे ही मनुष्य का व्यक्तित्व
बनाती व संवारती है पढ़ाई।
जीवन पथ में उतार हो कितने
चाहे कितनी दुर्गम चढ़ाई,
उन्हें पार करने की योग्यता
सिखला ही देती है पढ़ाई।
शिक्षित को रोज़गार मिले
हो जाती भरपेट कमाई
स्वावलंबन, आत्मविश्वास और
सद्भाव जगाए पढ़ाई।
जाति – कुल न आड़े आए
गुणवान बनाए पढ़ाई,
सफलता की राह दिखाए
नई पहचान दिलाए पढ़ाई।
शक्ल -सूरत और सुंदरता की
कभी नहीं होती सदा बड़ाई,
सर्वश्रेष्ठ है शिक्षा का आभूषण
जिसने सोई किस्मत चमकाई।
मनुष्य का स्थाई श्रृंगार है
उसके संस्कार और पढ़ाई,
सीरत और चरित्र को गढ़ती
पढ़ाई और केवल पढ़ाई।
खेमकिरण सैनी
4.3.2020