पढ़ाई – लिखाई
हम विद्यार्थियों की यही समस्या ,
पढ़ाई – लिखाई को समझते गुत्थी ,
पढ़ाई – लिखाई ही आश्रय होता ,
आजकल के लोक के नव्य हयात में।
अलंकार , विभूति , वाहक ,
सब गनीमत लेते हैं लूटपाटी ,
लूटपाटी भी ना गनीमत पाते ,
ऐसा वित्त होता पढ़ाई – लिखाई ।
पढ़ाई – लिखाई करने वाला ही ,
अमन से हयात कीलाता अपना ,
पढ़ाई – लिखाई ना करने वाला ही ,
लोक में करता कपट चौर्य ,दल्भ हैं।
मत समझो पढ़ाई – लिखाई को गुत्थी ,
पढ़ाई – लिखाई को गुत्थी समझने वाला ,
लोक के नव्य हयात में कुछ ना लहया है ,
मंजिल से कहीं पृथक चला जाता है वह।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय ,बिहार