पढ़ना और पढ़ाना है
तंद्रा में जो लिप्त पढ़ें हैं
मिलकर आज उठाना है,
पढ़ना और पढ़ाना है
शिक्षा की अलख जगाना है
चटक घटा सी अंधियारी,
मन मस्तक पर छायी है,
रौशन कर दे जीवन को
ऐसी लौ जलाना है।
……..पढ़ना और पढ़ाना है
शोषण एक बीमारी है,
हम पर अब भी भारी है,
कलम बने तलवार से
समूल नष्ट कराना है।
……..पढ़ना और पढ़ाना है
नेक बनें, प्रत्येक बनें,
मिल जुलकर हम एक बनें,
दूर क्षितिज तक जाना है
ऐसी लगन लगाना है।
तंद्रा में जो लिप्त पढ़ें हैं
मिलकर आज उठाना है,
पढ़ना और पढ़ाना है
शिक्षा की अलख जगाना है।
@ कुमार दीपक “मणि”
शिक्षक दिवस के अवसर पर
सभी शिक्षकों को समर्पित