पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये –आर के रस्तोगी
पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये
कू कू करे कोयल,मन को न भाये
मन मोरा नाचे,ये किसको बुलाये
जिसकी थी प्रतीक्षा,वो नहीं आये
घिर घिर बदरवा,तन को तडफाये
काली काली घटा,ये मुझको डराये
पिया गये प्रदेश,वापिस नहीं आये
क्या करू मैं,मुझे कोई तो समझाये
यमुना तट मेरा कृष्ण बंशी बजाये
सखिया सब आई,राधा नहीं आये
रह गई राधा अकेली कृष्ण न आये
उसे झूला कौन सखी अब झुलाये
नन्नी नन्नी बूंदे,ये अगन लगाये
पी पी करे पपीहा,किसे ये बुलाये
अमवा की डार पर झूला डलवाये
रेशम की डोरी,संदल पटरा बिछाये
सखिया नहीं आई पिया नहीं आये
ऐसे में मुझे,कौन झूला झुलाये
सबके पिया आये,मेरे नहीं आये
ऐसा बैरी सावन किसी का न आये
सूखा सूखा सावन,मुझे नहीं भाये
जब पिया मुझे झुलाने नहीं आये
भीगी भीगी ऋतू ये सूनी सूनी राते
पिया नहीं अब, किससे करू बाते
पड गये झूले,प्रियतम नहीं आये
कू कू करे कोयल मन को नही भाये
आर के रस्तोगी