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24 Oct 2017 · 1 min read

पड़ती समय की मार , बुरा होता हाल है

पड़ती समय की मार,बुरा होता हाल है
ऐसे समय में बनती ये हिम्मत ही ढाल है

काले सफेद स्वप्न भी रंगीन हो गये
देखो तुम्हारे प्यार का कैसा कमाल है

अपने लबों से चाहें न तुम कुछ कहो मगर
लेकिन नज़र में दिख रहा हमको सवाल है

जो मिल गया उसे तो मुकद्दर समझ लिया
लेकिन जो खो गया, रहा उसका मलाल है

नज़रें न देख पायेगी अब देखो दूर तक
आँखों पे भ्रम का बुन लिया जो तुमने जाल है

माता पिता ने पैरों पे हमको खड़ा किया
करनी जरूरी उनकी भी तो देखभाल है

पड़ता नहीं है फ़र्क़ वो काला या गोरा हो
बच्चे को देख माँ तो हो जाती निहाल है

हम हो गये अकेले बुढापे में ‘अर्चना’
कोई भी पूछता नहीं क्या हाल चाल है

डॉ अर्चना गुप्ता
24-10-2017

1 Like · 761 Views
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