प्लेटफॉर्म
प्लेटफार्म –
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी कभी कुछ ऐसे पल प्रहर आते है जो बिना प्रभावित किए नहीं रहते है एवं जिनका प्रभाव व्यक्तित्व पर जीवन भर लिए पड़ता है ।
ऐसे ही अविस्मरणीय पल प्रहर का सत्यार्थ मेरे साथ जुड़ा है जो बरबस मेरे व्यक्तित्व को प्रभावित किए बिना नहीं रह पाता एक दिन की मुलाकात जीवन में उत्साह ऊर्जा एवं उद्देश्य पथ के सफलता के लिए अनुराग का शुभारम्भ कर गई।
जिसने मुझे जीवन में सदैव दिशा दृष्टिकोण प्रदान किया जो मेरे लिए जीवन कि अनमोल धरोहर है जिसे शायद ही मै भूल पाऊ ।
कहानी वास्तविकता के
भावनात्मक कि पृष्ठ भूमि पर एक सकारात्मक अनुभूति है जिसमें संकल्पों संघर्षों कि वास्तविकता का सत्यार्थ है तो जीवन एवं संस्थागत मौलिक मूल्यों कि वास्तविकता का वर्तमान तथा भविष्य के लिए संदेश को प्रवाहित करता रिश्तों एवं संवेदनाओं को झकझोरते हुए हृदय स्पंदित करता है।
भूपेंद्र दीक्षित जी व्यक्ति ही नहीं संपूर्णता के व्यक्तित्व थे जो विश्वाश कि विराटता का शिखर तो पराक्रम प्रेरणा का पथ प्रकाश कहा जा सकता है दीक्षित जी ने जन्म के साथ जीवन यात्रा के अनेकों अध्याय आयामों के शुभारम्भ के प्रायोजक पुरुषार्थ के साथ साथ समापन कि खूबसूरती के खास सार्थक सत्यार्थ भी है।
मेरी क्या किसी भी व्यक्ति की जिज्ञासा उनसे मिलने के बाद उनके शुभ मंगल सानिध्य के शुभारम्भ से लाभान्वित एवं स्वयं के जीवन के शुभ शुभारम्भ के मानदंडों को स्थापित करना चाहेगा।
बात सन उन्नीस सौ अस्सी कि है
देवरिया रेलवे का प्लेट फार्म मेरे साथ भूपेंद्र दीक्षित बहुत योग्य विनम्र प्रतिष्ठित एवं ख्याति लब्ध व्यक्ति थे जिन्हें मै रेलवे स्टेशन छोड़ने गया था ।
क्या गजब व्यक्तित्व लम्बी काया श्याम वर्ण में आकर्षक प्रभावी व्यक्तित्व मुस्कुराता चेहरा धोती कुर्ता गले में सोने का चेन बात चीत कि अपनी अद्भुत शैली निश्चित रूप से किसी को भी प्रभावित करने के लिए पर्याप्त ।
ट्रेन लगभग चार घंटे बिलंब थी उस समय इतना तेज संचार माध्यम नहीं था अतः प्लेटफॉर्म पर पहुंचने पर जानकारी हुई कि ट्रेन चार घंटे बिलंब से आएगी मैंने ही कुछ ऐसी बातों को छेड़ना उचित समझा जो हम दोनों कि उम्र में बाप बेटे का अंतर होने के बावजूद सकारात्मक एवं ज्ञान वर्धक हो।
देवरिया रेलवे स्टेशन का नवीनीरण मीटर गेज से ब्राड गेज में परिवर्तन के कारण चल रहा था और कुछ दिन पूर्व ही वहां एक दुर्घटना जानकारी के अभाव में घटित हुई थी प्लेट फॉर्म को ऊंचा किया गया था और ट्रेन अभी मीटर गेज कि ही चल रही थी लोकल पैसेंजर ट्रेन यात्रियों से खचाखच भरी ज्यो ही प्लेट फार्म में दाखिल हुई बहुत से यात्री जो आदतन कहे या भीड़ के कारण या जल्दी उतरने के लिए किसी भी कारण से ट्रेन के दरवाजे के समीप खड़े थे या लटके थे उनको अंदाज़ा नहीं था कि प्लेटफॉर्म को ऊंचा किया जा चुका है जिसके कारण जल्दी उतरने के चक्कर में यात्रियों के पैर कट गए यह दुर्घटना दुर्भाग्य पूर्ण अवश्य थी।
जब मैंने दीक्षित जी को घटना का वृतांत बताया तब हतप्रद रह गए और फिर उन्होंने बात बदलते हुए मेरी शिक्षा अध्ययन के विषय में जानकारी चाही जब मैंने उन्हें बताया और उनको पता लगा कि मेरे अध्ययन के विषयों में भौतिक विज्ञान भी है तब उन्होंने भौतिक विज्ञान का मेकेनिक्स ही पढ़ाना शुरू कर दिया उन्होंने रेल इंजन कि डिजाईन एवं निर्माण कार्य प्रणाली को ही पढ़ा दिया उनके द्वारा कुछ घंटो पर प्लेटफॉर्म पर दी गई जानकारी इतनी स्पष्ट है की आज भी मै लगभग बयालीस वर्षों बाद भी रेल इंजन को पूरा एसेंबल कर सकता हूं।
सिर्फ याद को ताज़ा करने के लिए कुछ समय लग सकता है इतना ग्राह व्यक्तित्व था भूपेंद्र दीक्षित जी का रेल इंजन कि पूरी मेकेनिक्स बताने के बाद उन्होंने पुनः केंद्रीयकृत यातायात नियंत्रण प्रक्रिया बताना शुरू किया जो सम्पूर्ण भारत में छपरा बिहार से गोरखपुर उत्तर प्रदेश तक ही सिर्फ पूर्वोत्तर रेलवे में प्रयोगातमक लागू थी।
यह तकनीकी देवरिया जनपद के रोपन छपरा निवासी स्वर्गीय लाल जी सिंह जी द्वारा रेल में सेवा के दौरान जापान लाकर प्रयोगात्मक रूप से छपरा से गोरखपुर के बीच लगाया गया था ।
दीक्षित जी ने सी टी सी सेंट्रालाईज ट्राफिक कंट्रोल सिस्टम को बताना शुरू किया और पूरा सी टी सी सिस्टम ही स्पष्ट कर दिया मुझे यह समझ में ही नहीं आ रहा था कि उनकी जानकारियों ज्ञान कि कोई सीमा भी है या नहीं धीरे धीरे ट्रेन सात बजे शाम आने वाली पांच घंटे बिलंब हो गई।
मै बार बार उनसे अनुरोध करता रहा कि घर लौट चलते हैं पुनः ट्रेन के समय पर लौट आएंगे लेकिन उन्होंने कहा प्लेटफार्म है इंतज़ार के लिए क्या बुरा हैं साथ ही साथ उनको यह अनुभव होने लगा कि मेरा किशोर मन अब ज्ञान के बोझ से बोझिल हो गया है तब उन्होंने विषय बदल दिया और मुझे दिशा दृष्टि दृष्टि
कोण देने के लिए अपने जीवन के मौलिक मूल्यों एवं संघर्षों के विषय में बतलाना शुरू किया और अतीत कि यादों में खो गए।
अपने जीवन के महत्वपर्ण पल प्रहर अनुभवों को साझा करने लगे उन्होंने बताया कि पिता श्री जानकी दीक्षित गाव हरपुर दीक्षित बिहार सिवान जिले का एक परंपरागत गांव के किसान थे छ भाई थे पिता जी के पास खेती के अतिरिक्त कोई आय का साधन नहीं था लेकिन उन्होंने अपने सभी बेटों को शिक्षा के लिए प्रेरित किया और सबके लिए शिक्षा कि उचित व्यवस्था करते हुए हर संभव सुविधाओं को उपलब्ध कराया बड़े भाई ने कानून कि पढ़ाई पूरी किया उनका विवाह हुआ और एक पुत्र के पिता बनने के बाद बहुत कम आयु में ही निधन हो गया ।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद टाटा जैसे प्रतिष्ठत संस्थान टाटा स्टील में बतौर इंजिनियर अपना कैरियर प्रारम्भ किया उन्होंने अपने जीवन के नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतो पर मुझे गौर कर जीवन में चलने के लिए शिक्षा दी।
भूपेंद्र दीक्षित वास्तव में कर्मठ समर्पित योग्य इंजिनियर थे और टाटा जैसे विश्व प्रतिष्ठत संस्थान के महत्पूर्ण एसेट थे जिसे उन्होंने अपने कार्यों से प्रमाणित किया ।
दीक्षित जी ने लौह कचरा आयरन मड को परिष्कृत कर उससे पुनः स्टील के उत्पादन का विधिवत शोध टाटा समूह के समक्ष प्रस्तुत किया जो समूह के लिए महत्पूर्ण एवं आर्थिक रूप से बहुत फायदे मंद था।
टाटा समूह के द्वारा वर्ष उन्नीस सौ सत्तर में दीक्षित जी के महत्पूर्ण शोध के लिए बीस हज़ार कि नगद धनराशि एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं उनके कार्यों को अपने सभी स्तरो पर आदर्श कार्य के रूप में प्रचारित एवं प्रसारित किया गया जिससे कि समूह के अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े ।
दीक्षित जी कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से टाटा समूह को भी अभिमान था टाटा समूह भारत ही नहीं वल्कि सम्पूर्ण विश्व में उद्योग जगत के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय हैं कि टाटा समूह द्वारा अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों कि सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया जाता है कहावत है टाटा समूह व्यवसाई कम मनविय मूल्यों कि गुणवत्ता का सम्मान करने वाला उद्योग समूह है जिसके कारण बहुत से उच्च पदों के सरकारी अधिकारी सरकारी सेवा छोड़ कर टाटा समूह को अधिक पसंद करते हैं इस कड़ी में अजय सिंह भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी का जिक्र करना चाहूंगा जिन्होंने भारत सरकार के सम्मानित उच्च पद को छोड़कर टाटा समूह जाना बेहतर समझा यह टाटा समूह के उच्च मानवीय मूल्यों के संरक्षण एवं संवर्धन का एक उदाहण मात्र हो सकता है।
टाटा समूह कि उच्च मानवीय मूल्य परम्पराओं एवं भूपेंद्र दीक्षित जी के टाटा के लिए ईमानदारी समर्पण के बीच कुछ समय का संसय बन कर दीक्षित जी कि सफलताओं के प्रतिपर्धी लोगों ने कुछ ऐसा कुचक्र रच डाला कि भूपेंद्र दीक्षित जी एवं टाटा समूह में दूरियां बढ़ गई और विश्वाश कि डोर कमजोर पड़ टूट गई और दीक्षित जी ने टाटा समूह छोड़ दिया या टाटा समूह ने ही उन्हें समूह छोड़ने के लिए कहा जो भी सच हो भूपेंद्र दीक्षित जी के जीवन में परीक्षाओं का यह कठिन दौर शुरू हुआ लेकिन उन्होंने थकना हारना झुकना नहीं सीखा था उनके पारिवारिक संस्कार इतने मजबूत थे कि उनकी निष्ठा संदेह से परे थी जो चुनौति एवं परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई थी उससे उन्होंने लड़ना बेहतर समझा कहते है सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही इसकी प्रमाणिकता को सिद्ध किया भूपेंद्र दीक्षित जी ने समय बीतने के साथ टाटा समूह में उनके प्रति उभरी भ्रांतियां समाप्त हो गई लेकिन उन्होंने दोबारा नौकरी करना उचित नहीं समझा और स्वयं को स्थापित करने के लिए कॉन्ट्रेक्ट का कार्य प्रारम्भ किया और जीवन यात्रा में अहम दूसरे अध्याय का शुभारम्भ किया।
यह भूपेंद्र दीक्षित जी द्वारा समय समाज के भ्रम के दल दल से उबर कर संघर्ष के नए संभावनाओं के शुभारम्भ से अपने वर्तमान को एवं आने वाले भविष्य को दिशा दृष्टि प्रदान करते हुए प्रेरित किया इस कार्य में उनके मित्र एवं सहभागी ने भी महत्पूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए साथ निभाया और दोनों साथ साथ सफलता के शिखर पर बड़ते चले गए टाटा समूह कि नौकरी के बाद अपेक्षित सफलता के सभी माप दंडो को निर्धारित किया और उसे प्राप्त किया जो किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए असंभव ही नहीं सर्वथा कल्पना ही है।
भूपेंद्र दीक्षित जी ने अपने जीवन के शिखर यात्रा का प्रथम शुभारम्भ किया और शिखर पर स्थापित हुए वहा जब समय काल एवं द्वेष वैमनस्य के प्रतिस्पर्धा ने सांस य का अंधेरा किया तब उसे अपने धैर्य एवं दक्षता से समाप्त करते हुए जीवन के दूसरे सोपान का शुभारम्भ कांट्रेक्टर कार्य के साथ किया और शिखर पर स्थापित हुए जमशेदपुर टाटा नगर में एवं बिहार में अपनी विशेष पहचान सफल व्यक्ति के रूप में स्थापित किया कहते हैं व्यक्ति के जीवन में परीक्षाएं उसी कि होती है जो परीक्षा के योग्य होता है यह सच्चाई भूपेंद्र दीक्षित जी के जीवन में अक्षरशः सत्य है ।
भूपेंद्र दीक्षित जी द्वारा सफलता के स्वयं निर्धारित सभी मान मानकों को सभी स्तर पर प्राप्त किया गया जिसके कारण बिहार मैरवा हरपुर एवं प्रदेश में परिवार शिखर पर स्थापित किया जो किसी भी नौजवान के लिए प्रेरणा प्रदान करने के लिए पर्याप्त है ।
भूपेंद्र दीक्षित के स्वर्गीय बड़े भाई के योग्य कर्मठ एवं लायक पुत्र लल्लन दीक्षित द्वारा अपने चाचा के आदर्शो कि परम्परा को अपनी उपलब्धियों से चार चांद लगाया गया वास्तव में भूपेंद्र दीक्षित जी का सयुक्त परिवार के रूप मार्गदर्शन पिता जानकी दीक्षित कि आकांक्षाओं के अनुरूप सम्मान ख्याति कि ऊंचाई को हासिल करना सभी के लिए संबंधों एवं सामाजिक संस्कारो के विषय में सोचने को विवश करता है।
कहते है पराक्रम कभी बूढ़ा नहीं होता है आज भी चाहे कितनी ही विकट परिस्थितियों कि चुनौती हो भूपेंद्र जी धैर्य एव समन्वय के महारथी है जिनके आचरण एवं व्याहारिक सामाजिक सोच शैली शसक्त सफल समाज के निर्माण का मजबूत आधार बनती है ।
परिस्थितियां चाहे जो भी हो
विजयी सफलता के भाव भावनात्मक का समग्र समाज अल्लादित उत्कर्ष के शिखर का प्रतिनिधित्व करता है ।
भूपेंद्र दीक्षित जी जमशेद पुर टाटा नगर में अहम स्थान रखते है साथ ही साथ अपने बहूआयामी व्यक्तित्व के हृदय स्पर्शी व्यवहार से वर्तमान पीढ़ी के लिए जन्म जीवन यात्रा के अक्षुण्ण अक्षय उपलब्धियों के सोच संस्कार एवं दिशा दृष्टिकण प्रदान करते हुए विजेता के ऊर्जा का भाव प्रवाहित करता है तो अतीत का आदेश प्रस्तुत करते हुए स्वर्णिम भविष्य का परिणाम परक भाष्य प्रस्तुत करता है।
यह वास्तविकता है भूपेंद्र दीक्षित जी का सदैव चुनौतियों को पराजित कर नए विजय का शुभारम्भ ।।
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।