प्लास्टिक बन्द का नाटक
आज बहुत धूम धड़ाका ,देखने को मिला ,प्लास्टिक की विदाई जैसे तय कर दी गई हो। परन्तु एक बात समझ नही आती क्या प्लास्टिक विदाई के प्रति सरकार सिनसियर रहेगी। जी नहीं। क्या हर चीज़ पब्लिक को जगरुख करके ही हटाई जा सकती है। इसका उत्तर भी जी नहीं।
जिस किसी वस्तु को आप घातक मानते है,जैसे गुटखा ,शराब ,तम्बाकू आदि आदि। इनका निर्माण क्यो हो रहा है?
तो सीधा साधा सवाल है कि उसको आयातित या निर्माण करने का लाइसेंस क्या पब्लिक ने दे रखा है?पब्लिक को बजाय यह नारा लगाने के की इसको हटाओ ,उसको हटाओ की जगह यह नारा लगाने के लिये आंदोलन करना होगा ,कि इसकी फेक्ट्री बंद करो ,उसका आयात बंद करो। अन्यथा जुर्माना सरकार भरे। कोर्ट में सरकार के नियम और उसकी पालना की जवाबदेही का केस लगे। या फिर यह पढ़ने वाले बच्चों के दिमाग को भृमित करने का प्रयास रैलियां निकलवाकर न करें।