प्रोफेसर कपिल कुमार
प्रोफेसर कपिल कुमार
————————–
टीवी, इंटरनेट, अखबार और पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम द्वारा हम रोज़ाना न जाने कितने ही व्यक्तियों के विचारों से रूबरू होते हैं जिनसे हमारा वास्तविक जीवन में कोई परिचय नहीं होता!
कभी कभी ऐसे व्यक्तियों से हम इतना अधिक प्रभावित हो जाते हैं कि वे जाने-अनजाने ही हमारे जीवन में एक प्रेरणास्त्रोत बन हमारा मार्गदर्शन करते रहते हैं!
हमारे देश की ऐसी ही एक शख्सीयत हैं इग्नू के प्रोफेसर और जानेमाने राजनीतिक विश्लेषक और इतिहासकार, प्रो.कपिल कुमार!
वैसे तो ये किसी परिचय के मोहताज नहीं है लेकिन फिर भी उनके विषय में कुछ संक्षिप्त जानकारी यहां साझा कर रही हूं.
16 अक्टूबर 1954 में जन्में कपिल कुमार जी ने जनवरी 1988 में इग्नू के इतिहास विभाग में रीडर के रूप में ज्वाइन किया तथा फिर जनवरी 1991 से प्रोफेसर के रूप में सेवाएं देनी प्रारंभ की.
उन्होंने 1993 से 2009 तक इग्नू के पर्यटन क्षेत्र से जुडे अध्ययन कार्यक्रम (सीटीएस, डीटीएस, बीटीएस, एमटीएम और पीएचडी) के तहत नई अवधारणाओं को विकसित कर इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समन्वयन किया . इसी के चलते प्रो. कपिल कुमार जी को जनवरी 2010 में, पर्यटन अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके योगदान की स्वीकार्यता के रूप में, भारतीय पर्यटन कांग्रेस के सलाहकार-सह-कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया.
प्रो. कपिल कुमार नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी, नई दिल्ली में फेलो (1982-85) भी रहे हैं और उन्होंने एस.डी. (पीजी) कॉलेज, गाजियाबाद, और किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली में भी अपनी सेवाएं प्रदान की.
2008 में, उन्हें ऑस्ट्रेलिया एंडेवर अवार्ड से सम्मानित किया गया और ऑस्ट्रेलिया में कॉन्विक्ट हेरिटेज टूरिज्म पर काम करने वाले विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में मोनाश यूनिवर्सिटी, क्लेटन के साथ जोड़ा गया।
उन्होंने 2007 में ऑस्ट्रेलिया इंडिया काउंसिल फैलोशिप का लाभ उठाया और अध्ययन किया कि कैसे ऑस्ट्रेलिया ने अपनी विरासत को पर्यटन उत्पादों में परिवर्तित कर दिया। वे वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय, सेंट ऑगस्टीन, त्रिनिदाद (2010- 12) में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के माध्यम से प्रतिनियुक्ति पर थे और समकालीन भारतीय अध्ययन पर अध्यक्ष थे। वह UGC कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत कैटेनिया यूनिवर्सिटी, इटली में विजिटिंग प्रोफेसर भी रह चुके हैं।
उन्होंने चार पुस्तकें लिखी हैं: ‘किसानों में विद्रोह’ (1984), ‘कांग्रेस और कक्षाएं’ (संस्करण 1988), ‘किसान विद्रोह, कांग्रेस और अंगरेजी राज’ (1989, हिंदी) और ‘किसान विश्वासघात: निबंध औपनिवेशिक में। इतिहास ‘(2011) और “पर्यटन के मुद्दे और चुनौतियां” पर उनकी पुस्तक प्रेस में है। वर्तमान में, वह दो पुस्तकों पर काम कर रहे हैं: महिला, अपराध और औपनिवेशिक राज्य: यूपी का एक अध्ययन ’और‘ ऑस्ट्रेलिया में in कन्विक्ट हेरिटेज टूरिज्म ’।
उन्होंने पर्यटन और इतिहास पर 26 शोध पत्र भी लिखे हैं, इनमें से कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किए जा चुके हैं.
वह पर्यटन विपणन और मानव संसाधन पर IATO के लिए एक प्रमुख रिसोर्स पर्सन रहे हैं, और लगभग 40 देशों का दौरा किया है। उन्होंने स्कूल ऑफ टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी सर्विस मैनेजमेंट के निदेशक के रूप में भी काम किया है और स्कूल को नेतृत्व प्रदान किया है।
संजय लीला भंसाली पर फिल्म ‘पद्मावत’ में प्रो. कपिल कुमार जी ने इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप भी लगाया था। कपिल कुमार जी का कहना है कि फिल्म में मसाला डालने के लिए संजय लीला भंसाली ने चित्तौड़गढ़ से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की . विरोध करने पर सबसे पहले प्रो. कपिल कुमार जी को फिल्म दिखाई गई . तब प्रो. कपिल कुमार जी ने फिल्म के कई दृश्यों पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई . फलस्वरूप फिल्म के नाम में भी बदलाव किया गया .
इतिहासकार होने के साथ-साथ वह एक अच्छे कवि भी हैं.
2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनकी लिखी कई चुनावी कविताएं और व्यंग्य सोशल मीडिया पर वायरल हुए जो शीघ्र ही एक किताब के रूप में प्रकाशित होने जा रहे हैं !
कपिल जी लाल किले में स्थित ”नेताजी सुभाष म्यूजियम’ के क्यूरेटर भी हैं! अभी कुछ समय पहले ही लाल किले में दिखाए जाने वाले लाइट एंड साऊड शो की नई स्क्रिप्ट भी कपिल कुमार जी द्वारा ही लिखी गई है.
देश के और भी अन्य कई म्यूज़ियमों का उन्हीं की देखरेख में कायाकल्प किया जा रहा है !
इसी के चलते अभी पिछले सप्ताह एक अंग्रेजी अखबार ने उन्हे देश के ‘म्यूज़ियम मैन’ की उपाधि भी दे डाली है!
प्रो. कपिल कुमार जी को अक्सर जब टीवी डिबेट्स और अन्य सार्वजिक मंचों पर अपने विचार साझा करते देखती हूं तो हैरान हो जाती हूं कि जिस निष्पक्षता और निडरता से ये अपना पक्ष रखते हुए दिखाई देते हैं , वह अमूमन आसानी से देखने को नहीं मिलता है .
एक सहज, सरल हृदय , जो सदैव देशभक्ति से ओत-प्रोत रहता है, जब बोलता है तो किसी के भी दिल में देशभक्ति के जज्बे को भर उसके दिल की धड़कने तेज़ करने का सामर्थ्य रखता है.
आज न जाने कितने ही युवा इतिहासकार उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रहे हैं!
भारतीय इतिहास को उसके मूल रूप में लौटा कर , उसे आमजन तक पहुंचाने को उत्सुक , हमारे इतिहासकार प्रो. कपिल कुमार जी आज ,अक्टूबर 31, 2019 को इग्नू से सेवानिवृत हो रहे हैं.
सच कहूं तो ‘सेवानिवृत ‘ जैसा शब्द कपिल जी जैसी शख्सीयत के सामने बेहद बौना लगता है फिर बेशक यह शब्द कितना ही एक सिस्टम का हिस्सा ही क्यों न हो.
मैंने देखा है जब वह इतिहास की बात करते हैं , तो उनकी आँखों में बिल्कुल एक छोटे बच्चे की सी चमक आ जाती है, मानो मनचाहा खिलौना मिल गया हो.
आपके प्राण इतिहास में बसते हैं और इस बात को शायद इतिहास भी भलीभांति जानता है कि उन्होंने अब तक के अपने इस सफर में बतौर इतिहासकार उसमें किस कदर प्राण फूंके हैं!
भारत का गौरवशाली इतिहास जो पिछली सरकारों और वामपंथी इतिहासकारों के कुत्सित प्रयासों के चलते लंबे समय से सिसक कर आहें भर रहा था , प्रो. कपिल कुमार जी ने इतिहास को लाइफ लाइन देने का काम किया है!
नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े कई रिसर्च अभियानों को भी वह निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं .
जब – तब अनेक देश -विरोधी ताकतें इनके खिलाफ़ दुष्प्रचार करने से भी नहीं चूकती , चाहे फिर वो प्रोफेशनल विरोधी हों या फिर ट्विटर, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के मंच हो , सभी का सामना प्रो. कपिल कुमार जी बिल्कुल एक बिंदास , जांबाज शेर की तरह कर , एक सच्चे देशभक्त का फर्ज़ निभाते हैं !
वैसे तो मुझे यकीन है कि आप सभी ने इन्हें कभी न कभी , कहीं न कहीं बोलते हुए अवश्य सुना होगा , लेकिन यदि न सुना हो तो एक बार सुनना अवश्य चाहिए !
यकीन मानिए आप देशभक्ति के जज्बे से भर उठेंगे!
स्त्रीrang के लिए यह गौरव की बात है कि समय- समय पर उनके विडियोज़, लेख और कविताएं यहां फीचर होते रहते हैं और इतिहास को साधारण जनमानस तक पहुंचाने के उनके प्रयास में आगे भी होते रहेंगे !
देश के एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम उनके हर प्रयास में सदैव साथ रहेंगे !
क्योंकि –
“न जाने कितने ही इतिहासकार दर्ज करते हैं इतिहास को , लेकिन प्रो. कपिल कुमार जी जैसे इतिहासकारों को दर्ज करता है खुद इतिहास !”
ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आपके जीवन की दूसरी पारी पहली पारी से भी अधिक सफल रहे और आप स्वस्थ , खुशहाल और दीर्घायु हों तथा इतिहास को जनमानस तक पहुंचाने की आपकी यह मुहिम अवश्य सफल हो !
@Sugyata