प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
“ड्राइवर, गाड़ी किनारे रोक दो।” प्रधानमंत्री जी ने कहा।
“जी सर !” ड्राइवर ने कहा और तुरंत गाड़ी किनारे खड़ी कर दिया।
प्रोटोकॉल में चल रहे सुरक्षा अधिकारी आश्चर्यचकित। वे हड़बड़ाकर तुरंत दौड़े चले आए। बोले, “सर, क्या हो गया यूँ अचानक ?”
प्रधानमंत्री जी शांत भाव से बोले, “कुछ नहीं हुआ ऑफिसर। उधर देखिए, प्रोटोकॉल में एक एंबुलेंस खड़ी है। हमारे प्रोटोकॉल से ज्यादा एंबुलेंस के प्रोटोकॉल की वैल्यू है। पहले उसे आगे निकालिए।”
“लेकिन सर प्रोटोकॉल के मुताबिक…” सिक्योरिटी ऑफिसर कुछ कहते उससे पहले ही प्रधानमंत्री जी ने कहा, “ऑफिसर, ये मत भूलो कि शौक से कोई भी व्यक्ति हॉस्पिटल नहीं जाता। उसमें भी एंबुलेंस से हॉस्पिटल जाना लगभग अंतिम विकल्प होता है। इसलिए ऐसा मानकर चलो कि एंबुलेंस में किसी की जान फँसी होती है। हमारे प्रोटोकॉल किसी भी इंसानी जान से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं।”
ऑफिसर ने उनके सम्मान में सेल्यूट मारते हुए कहा, “यू आर ग्रेट सर। मैं अभी एंबुलेंस को आगे निकलवाता हूँ।”
प्रधानमंत्री जी ने अपने साथ चल रहे निज सहायक से कहा, “पी. ए. साहब आप तत्काल विधिवत आदेश जारी कराइए कि किसी भी मंत्री के व्यक्तिगत या सरकारी दौरे में प्रोटोकॉल के नाम पर एंबुलेंस को कतई न रोका जाए।”
तब से देश में किसी भी मंत्री के टूर प्रोटोकॉल पर एबुलेंस को नहीं रोका जाता।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़