प्रेरणा
तोड़़ दो परतंत्रता के ये बंधन ,
छोड़ दो दिखावे के ये वंदन ,
रचो अपना भविष्य स्वयं तुम ,
रहो ना निर्भर किसी पर भी तुम ,
कोई नहीं तुम्हारा भाग्य विधाता ,
परिश्रम तुम्हारा है भाग्य निर्माता ,
सतत् संघर्ष रत् रहो जीवन रण में ,
आत्मविश्वास हो तुम्हारे प्रण में ,
आत्मचिंतन से परिमार्जित हो मन ,
आत्मशक्ति से उर्जित हो तन ,
एकलव्य सा लक्ष्य रखो तुम ,
प्रज्ञा सिद्धि संकल्प रखो तुम ,
संकट क्षण में धैर्य रखो तुम ,
निर्भय हो विजय भाव रखो तुम ,
अभिव्यक्ति में स्वतंत्र रहो तुम ,
आज हो तुम इतिहास रचो तुम।