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9 Nov 2024 · 1 min read

प्रेरणा

तोड़़ दो परतंत्रता के ये बंधन ,
छोड़ दो दिखावे के ये वंदन ,

रचो अपना भविष्य स्वयं तुम ,
रहो ना निर्भर किसी पर भी तुम ,

कोई नहीं तुम्हारा भाग्य विधाता ,
परिश्रम तुम्हारा है भाग्य निर्माता ,

सतत् संघर्ष रत् रहो जीवन रण में ,
आत्मविश्वास हो तुम्हारे प्रण में ,

आत्मचिंतन से परिमार्जित हो मन ,
आत्मशक्ति से उर्जित हो तन ,

एकलव्य सा लक्ष्य रखो तुम ,
प्रज्ञा सिद्धि संकल्प रखो तुम ,

संकट क्षण में धैर्य रखो तुम ,
निर्भय हो विजय भाव रखो तुम ,

अभिव्यक्ति में स्वतंत्र रहो तुम ,
आज हो तुम इतिहास रचो तुम।

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