[[[ प्रेरणा गीत ]]]
प्रेरणा गीत:
आदमी हो आदमी बनकर
¤दिनेश एल० “जैहिंद”
आदमी हो आदमी बनकर तो देखो
हर संकटों में खड़ा तनकर तो देखो
स्वर्ग यही धरा नर्क भी यही धरती ।
स्वर्ग – नर्क की कल्पना तुम्हें ठगती ।।
नर्क के पिशाच को तुम दूर भगाओ ।
आदमी हो तुम तो इसे स्वर्ग बनाओ ।।
सत-मार्ग पर जरा चलकर तो देखो,,,,,,
आदमी हो आदमी बनकर तो देखो ।
भूखे की जैसे ही तुम भूख मिटाओगे ।
भगवान को तब तुम धरा पे पाओगे ।।
नंगे बदन पर पर्दा जब तुम डालोगे ।
धरती को तुम स्वर्ग रूप धरा पाओगे ।।
प्यासे की प्यास तुम हरकर तो देखो,,,,,,,
आदमी हो आदमी बनकर तो देखो ।।
गिरे को अब तुम हथेली पर उठाओ ।
रोते को तुम अपनी छाती से लगाओ ।।
हृदय में तुम सद्भावनाएं पनपने दो ।
जियो और हरेक को धरा पे जीने दो ।।
निर्बल संग तुम खड़ा होकर तो देखो,,,,,,
आदमी हो आदमी बनकर तो देखो ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
17. 02. 2018