प्रेरक प्रसंग
सन 1993 की बात है उस समय मैं कुंडम कॉलेज में पुस्तकालय अध्यक्ष के पद पर संविदा पर कार्यरत था l जो कि जबलपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर था l कॉलेज के बच्चे हम सब युवा शिक्षकों का बहुत सम्मान करते थे l कुंडम के पास एक गांव था जिसका नाम बघराजी था l हमारे कालेज में पढ़ने वाले छात्र उस गांव को क्रिकेट में कभी भी हरा नहीं पाए थे जिसका उन्हैं हमेशा अफसोस था l
एक दिन उन्होंने अपने दिल की बात हम शिक्षकों से साझा की l तो हमने कहा कि एक मैच रख लो उस गांव की टीम के साथ l फिर क्या था मैच का दिन फिक्स हो गया और हम सब वहां जा पहुंचे l इज़्ज़त का सवाल था l इस बार हम सभी युवा शिक्षक अपने बच्चों के सम्मान के लिए कुछ करना चाहते थे l
मैच आरंभ हुआ l हमने सबसे पहले बॅटिंग की l ठीक ठाक रन बनाए l अब बारी थी बालिंग करने की l मैं एक मध्यम गति की गेंद फेंकता था l मुझे भी मौका मिला और मैंने चार ओवर में कुल नौ रन दिए और छ्ह विकेट लिए l हम मैच जीत गये l पहली बार हमारे कालेज के बच्चों को खुश देखकर ऐसा लगा जैसे उन्हैं कोई अमूल्य उपलब्धि हासिल हुई हो l
बच्चों ने ढोल नगाड़े के साथ अपने गांव में खूब खुशी का इज़हार किया l हमारी खुशी का भी ठिकाना नहीं रहा l