प्रेरक प्रसंग
मेरे विद्यालय के एक प्राचार्य थे | एक दिन की बात है मैं पुस्तकालय के बाहर समाचार पत्र पढ़ रहा था | बारिश जोरों से हो रही थी | पुस्तकालय के बाहर वरांडे में बारिश का पानी इकठ्ठा हो रहा था | शायद पानी की निकासी वाली नाली में कुछ कचरा फंस गया था | मेरा ध्यान इस ओर नहीं था | मैंने देखा कि उसी समय वहां से मेरे विद्यालय के प्राचार्य आ निकले और उन्होंने रुके हुए पानी की ओर देखा और पास में ही पड़े वाईपर को उठाया और उसके हाथ वाली ओर से नाली में फंसे कचरे को निकालने लगे | मैंने उनकी ओर देखा और कहा कि सर दीजिये मैं कर देता हूँ | इस पर उन्होंने कहा कि अनिल जी कोई बात नहीं | उन्होंने नाली को साफ़ किया और पानी नाली से बहने लगा | प्राचार्य स्कूल के राउंड पर निकल गए | मैं उनके इस उत्तम कार्य से बहुत ही प्रभावित हुआ |
एक दिन विद्यालय के सफाई कर्मचारी ने बताया कि विद्यालय में जब टॉयलेट सही तरीके से साफ़ नहीं होते थे तो प्राचार्य महोदय खुद अपने हाथ से टॉयलेट को अच्छे तरीके से किस तरह साफ़ किया जाता है खुद करके बताते थे | मेरे मन में उनके प्रति आज भी सम्मान है | ऐसे सद्चरित्र ही समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं | मैंने उनके भीतर गांधीजी सा व्यक्तित्व खुद महसूस किया | मैं आज भी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ कि मुझे ऐसे प्राचार्य मिले |