प्रेम!
..कुछ चेहरे भीतर से इतने खूबसूरत होते हैं कि उनपर से नज़रे नहीं हटती वो हर क्षण हमारी पुतलियों में सिमटे रहते हैं।यद्यपि हम उनसे कभी नहीं मिले और ना शायद कभी मिलने की चेष्टा करें फिर भी वो हमें प्राणों से प्रिय लगते हैं।मेरा तो यह मानना है कि किसी से प्रेम करने के लिए उससे साक्षात् होना क्यों जरूरी हैं वो तो पहले ही हमारे संग हैं हमारे भीतर…..जैसे कोई भी अभिनेता,लेखक,चित्रकार,खिलाड़ी,संगीतज्ञ आदि..
मनोज शर्मा