Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2021 · 1 min read

प्रेम

अपने कोना छमकै छी
आउ हिअ मे
सोलह सिगार मे आउ
आउ एक दोसर मे समा जाउ

आउ स्वप्न मे
नीरस जिनगी मे रंग भरू
आमोद करू तन मन आओर धन
आउ गृह मे आउ
मेटा दु अन्हरिया सारा
आउ मिलिकऽ जानकी जनम पर्व मनाउ
आउ अपने हे विश्व सुनरी आउ

दुख मे
सुख मे
संग रहू सदिखन
पथ मे कमल पुष्पक बिछाउ
आउ हे प्रितम
जीबए के नव उमंग जगाउ

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
10 Likes · 6 Comments · 250 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा देश भारत🇮🇳
मेरा देश भारत🇮🇳
Dr. Vaishali Verma
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*।।ॐ।।*
*।।ॐ।।*
Satyaveer vaishnav
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
(24) कुछ मुक्तक/ मुक्त पद
Kishore Nigam
वह (कुछ भाव-स्वभाव चित्र)
वह (कुछ भाव-स्वभाव चित्र)
Dr MusafiR BaithA
गुस्ल ज़ुबान का करके जब तेरा एहतराम करते हैं।
गुस्ल ज़ुबान का करके जब तेरा एहतराम करते हैं।
Phool gufran
*राम भक्ति नवधा बतलाते (कुछ चौपाइयॉं)*
*राम भक्ति नवधा बतलाते (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा
Mukesh Kumar Sonkar
मुक्तक
मुक्तक
Rajesh Tiwari
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Urmil Suman(श्री)
होली की मुबारकबाद
होली की मुबारकबाद
Shekhar Chandra Mitra
"म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के"
Abdul Raqueeb Nomani
समझदारी का न करे  ,
समझदारी का न करे ,
Pakhi Jain
क्या यही है हिन्दी-ग़ज़ल? *रमेशराज
क्या यही है हिन्दी-ग़ज़ल? *रमेशराज
कवि रमेशराज
प्रणय 8
प्रणय 8
Ankita Patel
2943.*पूर्णिका*
2943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
किसी ने दिया तो था दुआ सा कुछ....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
संघर्ष ज़िंदगी को आसान बनाते है
Bhupendra Rawat
अर्थी चली कंगाल की
अर्थी चली कंगाल की
SATPAL CHAUHAN
जीवन पर
जीवन पर
Dr fauzia Naseem shad
अमीर
अमीर
Punam Pande
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
तेरा मेरा रिस्ता बस इतना है की तुम l
Ranjeet kumar patre
छलनी- छलनी जिसका सीना
छलनी- छलनी जिसका सीना
लक्ष्मी सिंह
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
तन को कष्ट न दीजिए, दाम्पत्य अनमोल।
जगदीश शर्मा सहज
दे दो, दे दो,हमको पुरानी पेंशन
दे दो, दे दो,हमको पुरानी पेंशन
gurudeenverma198
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
■ आदिकाल से प्रचलित एक कारगर नुस्खा।।
■ आदिकाल से प्रचलित एक कारगर नुस्खा।।
*Author प्रणय प्रभात*
अक्सर समय बदलने पर
अक्सर समय बदलने पर
शेखर सिंह
Loading...