*****प्रेम……..
यह दिवस आज ही क्यूं
रोज क्यूं नहीं
किस बात पर ,खफा
किस बात का गम
हर पल , हर दिन
प्रेम की आगोश
सब से अनमोल
जैसे आसमान का
प्रेम सितारों संग
धरती का प्यार
इन बहारो संग
बहना का प्रेम, भाई संग
माँ का बेलालच प्रेम,
अपनी संतान संग
बाप का प्रेम
सब के संग
और पत्नी का
कभी न मिटने वाला
प्रेम, अपने पति संग
तो क्यूं
नहीं मनाते हम
यह दिवस हर पल
बस..
.प्रेम के संग
कितना अनमोल खजाना
दिया विधाता ने
करो बस प्रेम हरेक के संग
न ताने हों
न कोई आवेश,
बस
बिखरा दो प्रेम हर किसी को
आज ही के दिवस क्यूं ??
रोज क्यूं नहीं..
करो प्रेम और
जीवन
को खुद और
सब के
सुखी कर जाओ,
बस
प्रेम करो, बेमोल, बेदाम,
बेलाल्च,
यही कामना करता हूँ
होगा प्रेम
“अजीत”
चारों ओर, हर किसी को..
शुभकामनाएं…
अजीत कुमार तलवार
मेरठ