प्रेम
प्रेम
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नफ़रतों के जंगल में
प्रेम अग्न हुआ
मन हुलसा
तन झुलसा
राख में से निकलेगा
वो प्रेम का नवांकुर
कभी तो देखना तुम
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राजेश’ललित’
प्रेम
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नफ़रतों के जंगल में
प्रेम अग्न हुआ
मन हुलसा
तन झुलसा
राख में से निकलेगा
वो प्रेम का नवांकुर
कभी तो देखना तुम
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राजेश’ललित’