प्रेम
“प्रेम” एक व्यापक एवं दिव्य शब्द है..असीम अनुराग में मनुष्य स्नेहासिक्त हो अपने प्रिय हेतु सर्वसमर्पित होता है…
माता-पिता,भगिनी-भ्राता,पुत्र-पुत्री,पति-पत्नी प्रियतम आदि विविध स्वरूपों में जब प्रेम अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त होता है तो वह रूप एवं परिणाम अकल्पनीय होता है…
मृदुल भावनाएं,कोमल उदगार अपने प्रियतम के मार्ग में पुष्प शय्या बनने हेतु अभिप्रेरित हो जाती हैं और स्वम् सुधा रस बनकर
प्रिय की मंगलकामना करती हैं…!