प्रेम
प्रेम
नैसर्गिक प्रेम की परिभाषा
राधा आधी कृष्ण आधा
एक हृदय तो दूजा धड़कन
पूर्ण को परिपूर्ण करती राधा
परिणीता नहीं प्रेम पुजारिन
अस्तित्व आजीवन समर्पण
नैसर्गिक सौंदर्य की स्वामिनी
बेसुध बाट जोहे कुंज आँगन
राधे बाँसुरी की धुन लय प्राण
एकल मोहन विचलित विकलान
तजी बाँसुरी विरह विछोह माही
व्यर्थ वैभव स्वर्णकोटि का मान
कजरारे नयन निर्झर झरते नीर
कारा करत यमुना का तोय तीर
कान्हा अश्रु जल से सागर खारा
सहा न जाए वियोग संताप पीर
नैसर्गिक रासलीला का सम्बंध
परिधि से परे ये प्रणय स्वच्छंद
एक आदि तो दूजा अनंत कहाए
अंतर्मन का अमित अटूट अनुबंध
रेखा
कोलकाता