प्रेम
प्रेम
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प्रेम आचार है
व्यवहार है,सदाचार है।
प्रेम संबंधों का
चुंबकीय सदभाव है।
प्रेम के बिना
सब कुछ बेकार है,लाचार है,
प्रेम के बिना संबंध
लकवा सा बीमार है।
प्रेम के बिना जीवनपथ
सूना सूना है।
प्रेम के बिना जीवन जीना
क्या जीना है?
प्रेम को सजाइये संवारिये
प्रेम की किरणें सदा फैलाइये।
क्योंकि
प्रेम जीवन में
खूबसूरत नगीना है।
✍सुधीर श्रीवास्तव