प्रेम
प्रेम
आओे करे प्रेम इस जग में चाँद और सूरज जैसा
तू ढूंढे बन चाँद पूनम तो कभी अमावस्या जैसा
मैं बन सूरज तड्पु याद में, दहकता अंगारे जैसा
तरसे दीदार मैं दूजे के खेले-खेल आँखमिचोली जैसा
+++++ डी. के. निवातियाँ +++++
प्रेम
आओे करे प्रेम इस जग में चाँद और सूरज जैसा
तू ढूंढे बन चाँद पूनम तो कभी अमावस्या जैसा
मैं बन सूरज तड्पु याद में, दहकता अंगारे जैसा
तरसे दीदार मैं दूजे के खेले-खेल आँखमिचोली जैसा
+++++ डी. के. निवातियाँ +++++