प्रेम।
पसंद कभी भी बदल सकती है,
प्रेम आजीवन रहता,
प्रेम तो एक आधार है ऐसा,
कि जीवन संजीवन रहता,
कितना कुछ है कहा गया,
कितना कुछ है लिखा गया,
विस्तार चाहे जितना भी दीजिए,
प्रेम का वर्णन कम ही रहता है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।
पसंद कभी भी बदल सकती है,
प्रेम आजीवन रहता,
प्रेम तो एक आधार है ऐसा,
कि जीवन संजीवन रहता,
कितना कुछ है कहा गया,
कितना कुछ है लिखा गया,
विस्तार चाहे जितना भी दीजिए,
प्रेम का वर्णन कम ही रहता है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।