प्रेम
मनमनोरम छंद?
मापनी-2122 2122
******************
प्रेम का रस घोल देना।
मूक हो पर बोल देना।
प्रेम का सपना सजाना।
हाँ नई दुनिया बसाना।
सोच लो जब प्यार होगा।
मौत पथ तैयार होगा।
दर्द का श्रृंगार होगा।
बेखुदी त्योहार होगा।
प्रेम का क्या देश होगा।
जोगियों का वेश होगा।
प्रेम पथ में फूल भी है।
पाँव चुभते शूल भी है।
प्रेम में अंगार होता।
जो किया वह क्षार होता।
प्रेम कब आसान होता।
प्रेम केवल ध्यान होता।
प्रेम राधा ने किया था।
आप ही को खो दिया था।
प्रेम मीरा ने किया था।
प्रेम में विष पी लिया था।
प्रेम तो अनमोल होता।
प्रेम मीठा बोल होता।
प्रेम में कुछ गम नहींं है।
दौलतों से कम नहीं है।
प्रेम में दिल डोलता है।
मोह बंधन खोलता है।
प्रेम इक अहसास होता।
भावना के पास होता।
प्रेम ही आधार होता।
प्रेरणा का सार होता।
प्रेम ही भगवान होता।
जो किया नादान होता।
प्रेम जीवन दान भी है।
माँगता बलिदान भी है।
प्रेम जिसने भी किया है।
भेंट जीवन का दिया है।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली