प्रेम
आओ मिलकर प्रेम करें,
क्या रखा है नफरत के गलियारे में।
सब कुछ तो मिलता है,
साहब अपने भाईचारे में ॥
नफरत ही क्यूँ बोई जाती,
जाति धर्म के नाम पर।
कैसी ये ज्वाला धधक रही है ,
भारत के वर्तमान पर॥
माकान नहीं जलते साहब,
न जलता भारत देश।
अगर आप मिटाए होते,
आपस का ये द्वेष ॥
रोज रोज भारत है जलता,
सत्ता के गलियारों में।
रोज रोज जानें जातीं हैं,
कट्टा और हथियारों से।
बस एक बात कहता मनोज है,
मत कूदो अंगारे में।
सब कुछ तो मिलता है यारों,
आपने भाईचारे में ॥
कवि मनोज सिंह सतनहा
ग्राम किरहाई पोस्ट अहिरगांव
जिला सतना मध्यप्रदेश
मो. 7089623135