प्रेम
प्रेम मेरी कमजोरी,
प्रेम ही मेरी ताकत है।
प्रेम ही मेरी चाहत,
प्रेम ही मेरी राहत है।
प्रेम ही दिल की धड़कन,
प्रेम ही साँसों की डोर हैँ।
प्रेम ही सबको बांधे,
प्रेम ही रिश्तों की डोर।
उमा वैष्णव
(मैलिक और स्वरचित)
सुरत, (गुजरात)