प्रेम
तुमने फूलों से प्रेम किया
उनकी गर्दन उड़ा दी , ,,
तुमने पन्छियों से प्रेम किया
उन्हें कैद कर लिया ,,,,
तुमने प्रकृति से प्रेम किया
उसका दुरउपयोग किया ,,,
अरे ये तुमने क्या अनर्थ किया ??
जो अर्थ ही बदल दिया प्रेम शब्द का ?
अब तो ‘प्रेम’ को ‘हिंसा’ समझा जायेगा
सिर्फ ‘हिंसा’ ,,,,,
क्षमा उर्मिला