प्रेम
प्रेम:
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प्रेम प्रीत प्यार ही तो है
और मौहब्बत
जन्नत का तबस्सुम है
एक खूबसूरत तराना है.
एक सपना मनभावना
जहाँ दिलों के तार जुड़ते हैं
और इक खुशनुमा
अंजाम दे कर
प्यार की बहार
बिखरा देते हैं
इन्द्रधनुषी झूले में
प्यार की पींगे डाल कर
स्वर्ग का सुखकर
सुंदर आनन्द उत्सव बन जाता है
यही तो है
प्यार का नगमा
और इस के जुड जातें हैं
दिलों के बंधन
आत्माओं के बंधन
यही तो है
समर्पण की परिणति ।