Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 1 min read

प्रेम!

देखती रही मैं नदी को
बे-परवाह बहते हुए,
चुप चाप एक टक दूर तक
बस निहारती रही
जाने कैसे बह रही थी
बस एक दिशा में
ना किसी की चिंता
ना किसी से मतलब
बस एक दिशा में
बहती रही वो नदी।

मैं ठहरी रेगिस्तान की
मुझे कहाँ पता क्या होता है
नदियों का बहना
और धरती को चीर के
एक दिशा में निकलना
आस पास हरा भरा करना।

देखती रही उस नदी को
जिसे अपनी फ़िक्र कहाँ थी
जिसे बस मिलना था
दूर कहीं सागर में
और करना था उसे
अपने प्रेम को सार्थक
बस एक इस जन्म में ही
चाहे उसके लिए उसे
कोई भी ग़म उठानी पड़े
या कोई परीक्षा देनी पड़े।

मैं ठहरी ‘फ़िलोफोबिक’
मुझे कहाँ ज्ञात कि
क्या हैं प्रेम और उसमें
पड़ने का सुख या एहसास
और उसके लिए कष्ट झेलकर
भी ख़ामोश बस प्रेम करना।

146 Views
Books from कविता झा ‘गीत’
View all

You may also like these posts

पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
पितृ हमारे अदृश्य शुभचिंतक..
Harminder Kaur
ग़ज़ल- वहीं इक शख़्स दुनिया में
ग़ज़ल- वहीं इक शख़्स दुनिया में
Johnny Ahmed 'क़ैस'
मुक्तक
मुक्तक
Sonam Puneet Dubey
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
ब्रह्मांड अस्तित्व
ब्रह्मांड अस्तित्व
Mahender Singh
आग तो लगी हैं यंहा भी और वंहा भी
आग तो लगी हैं यंहा भी और वंहा भी
Abasaheb Sarjerao Mhaske
*मतदाता को चाहिए, दे सशक्त सरकार (कुंडलिया)*
*मतदाता को चाहिए, दे सशक्त सरकार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चली आना
चली आना
Shekhar Chandra Mitra
युद्ध का रास्ता
युद्ध का रास्ता
Arun Prasad
उसकी खामोशियों का राज़ छुपाया मैंने।
उसकी खामोशियों का राज़ छुपाया मैंने।
Phool gufran
कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को
कभी कहा न किसी से तिरे फ़साने को
Rituraj shivem verma
My luck is like sand
My luck is like sand
VINOD CHAUHAN
अभी कहाँ आराम, परम लक्ष्य छूना अभी।
अभी कहाँ आराम, परम लक्ष्य छूना अभी।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बेवफ़ा
बेवफ़ा
singh kunwar sarvendra vikram
क्यूं एक स्त्री
क्यूं एक स्त्री
Shweta Soni
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
प्यारी-प्यारी सी पुस्तक
SHAMA PARVEEN
भाग  करते   नहीं  घटा  देते
भाग करते नहीं घटा देते
Dr Archana Gupta
जब हम छोटे से बच्चे थे।
जब हम छोटे से बच्चे थे।
लक्ष्मी सिंह
ईश्वर की अजीब लीला है...
ईश्वर की अजीब लीला है...
Umender kumar
रिश्ता और ज़िद्द दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है, इसलिए ज
रिश्ता और ज़िद्द दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है, इसलिए ज
Anand Kumar
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं तेरी मुस्कान बनूँगा.
मैं तेरी मुस्कान बनूँगा.
Pappu Kumar Shetty
#पर्व_का_सार
#पर्व_का_सार
*प्रणय*
एक गीत तुमको लिखा
एक गीत तुमको लिखा
Praveen Bhardwaj
गीत- तेरा जो साथ मिल जाए...
गीत- तेरा जो साथ मिल जाए...
आर.एस. 'प्रीतम'
सामाजिक कविता: पाना क्या?
सामाजिक कविता: पाना क्या?
Rajesh Kumar Arjun
बारिश की बूंद
बारिश की बूंद
Neeraj Agarwal
कलम ही नहीं हूं मैं
कलम ही नहीं हूं मैं
अनिल कुमार निश्छल
4390.*पूर्णिका*
4390.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दिसम्बर की सर्द
दिसम्बर की सर्द
Dr fauzia Naseem shad
Loading...