प्रेम
आज का हासिल
हाइकु-प्रेम
है प्रेम राग
मधुर अनुराग
लाग जिया की।
प्रेम राग से
सुरभित जीवन
थिरके मन।
प्रेम लपटें
जिंदगी को संवारें
हों वारे न्यारे।
प्रीति की भाषा
पशु पक्षी बोलते
क्यों तुम भूले?
प्रेम बीज से
जीवन उपजाले
पुष्प खिलेंगे।
प्रेम है धन्य
अति मनभावन
जैसे सावन।
प्रेम प्रीत है
सुरभित वेदना
सुसंवेदना।
प्रेम तपन
लगे नवजीवन
पी की लगन।
प्रीति अपार
जोड़ती परिवार
है उपहार।
सुन नीलम
है प्रेम अनुपम
और असीम।
नीलम शर्मा