प्रेम (1)
बात कविता की हो,
या जीवन के किसी
भी पहलू की ।
हर क्षण की
शुऱुआत से पहले
ज़िक्र तुम्हारा होता है।
तुम्हें पाये बिना
या तुम्हें खोजे बिना ,
हो ही नहीं सकती
शुऱुआत
किसी भी क्षण की ।
-ईश्वर दयाल गोस्वामी।
कवि एवं शिक्षक।