प्रेम हद पार
**** प्रेम हद पार ****
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प्रेम भी हर हद पार है,
चाँद सा सुंदर यार है।
हर अदा मस्तानी लगे,
मद भरा यौवन भार है।
हुस्न ए मल्लिका खड़ी,
इश्किया करती वार है।
बात बनते-बनते बनी,
इंतहा उन से प्यार है।
ख्वाब रंगी देखूं सदा,
अप्सरा जैसी नार है।
वो लहर सी चलती रहे,
सिंधु की बहती धार है।
नाक तोते की चोंच सी,
गाल गोरे गुलनार है।
हाल ए मनसीरत खिला,
जिंदगी यूँ गुलज़ार है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)